November 25, 2024

Office Address

123/A, Miranda City Likaoli
Prikano, Dope

Phone Number

+0989 7876 9865 9

+(090) 8765 86543 85

Email Address

info@example.com

example.mail@hum.com

Politics State

आदिवासी मुख्यमंत्री और आदिवासी वनमंत्री की बदनियति से छत्तीसगढ़ के आदिवासी पाई-पाई के लिए मोहताज…

आदिवासी मुख्यमंत्री और आदिवासी वनमंत्री की बदनियति से छत्तीसगढ़ के आदिवासी पाई-पाई के लिए मोहताज…

ई-कुबेर सिस्टम अव्यवहारिक, आदिवासियों को अपनी ही मजदूरी का पैसा निकालना हो रहा मुश्किल

कई डिविजनों में भुगतान संदिग्ध, हितग्राहियों के खातों में आए नहीं फिर राशि गई कहां?

हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर और सरगुजा में भी ई-कुबेर से भुगतान की अनिवार्यता को अव्यावहारिक करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार के द्वारा बिना सोचे समझे लागू किए गए इस तुगलती फरमान से लाखों गरीब आदिवासी परिवार पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए हैं। बस्तर सरगुजा अंचल में कई गांव ऐसे हैं जहां 70-80 किलोमीटर दूर तक बैंक की शाखाएं नहीं है, बस्तर संभाग के सातों जिलों में जिला मुख्यालय और कहीं-कहीं पर ब्लॉक मुख्यालय में ही बैंकिंग का सिस्टम उपलब्ध है, ब्लॉक मुख्यालयों के बैंकिंग व्यवस्था का भगवान ही मालिक है, जहां बैंक है वहां पर भी आए दिन कैश की अनुपलब्धता सर्वविदित है। विद्युत सप्लाई बाधित रहना आम बात है, इंटरनेट का सुचारू रूप से निरंतर उपलब्ध हो पाना भी संभव नहीं रहता, ऐसे में जंगलों में निवास करने वाले आदिवासी मजदूरो के लिए भाजपा सरकार द्वारा जबरिया थोपा गया ई-कुबेर सिस्टम बड़ी मुसीबत से कम नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रदेश के 27 विभागों में ई-कुबेर पोर्टल से भुगतान किए जाने की जो व्यवस्था बनाई गई है उससे वन, लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग के मजदूरों ko सर्वाधिक दुष्प्रभाव भोगना पड़ रहा है। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका का प्रमुख साधन वनोपज या फिर सरकारी विभागों द्वारा जंगलों में कराए जाने वाले विकास कार्य में मजदूरी है, ई कुबेर पोर्टल में ऐसी कई शिकायतें हैं जिसमें राशि का भुगतान तो संबंधित हितग्राहियों को बताया जाता है, लेकिन वह राशि उन तक नहीं पहुंच पाती, कई डिवीजन में करोड़ों रुपए का अता पता नहीं है कि आखिर ई-कुबेर पोर्टल से किया गया भुगतान गया कहां?

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आदिवासी क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति, साक्षरता दर, सांस्कृतिक परिवेश ऐसे सिस्टम और व्यवस्था के लिए अनुकूल नहीं है। सुविधाओं की दृष्टि से आदिवासी अंचल अभी भी बैंकिंग सिस्टम के विकास से कोसों दूर है, ऐसे में मजदूरों को नगद भुगतान की सुविधा मिलनी चाहिए। ग्राम पंचायतों में भुगतान बंद किए जाने से बस्तर के कई गांव से आदिवासियों को अपनी मजदूरी का सौ, दो सौ निकलवाने के लिए भी 60-70 किलोमीटर दूर का सफर तय करना पड़ता है, पूरा दिन सफ़र में ही बीत जाता है, घंटों बैंक में बैठे रहने के बाद फार्म भरवाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके चलते गरीब आदिवासी सरकारी विभागों में काम करने से मना करने लगे हैं। यह समस्या सरकारी विभागों की भी है, सरकार के इस अव्यावहारिक निर्णय से वन विभाग में कार्य करने के लिए मजदूर ढूंढना भी एक बड़ी समस्या बन गया है। यही कारण है कि वन विभाग के ज्यादातर प्रोजेक्ट दम तोड़ने लगे हैं, विगत 6 महीनों में बस्तर में 40 की जगह महज 5 प्रतिशत ही विकास कार्य हो पाए हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि बेहद दुखद है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और वन मंत्री दोनों आदिवासी हैं, वन मंत्री तो स्वयं बस्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं फिर भी गरीब आदिवासियों के प्रति इतनी संवेदनहीनता? जो व्यवस्था लाखों आदिवासी परिवारों के आर्थिक हितों के खिलाफ है उसे तत्काल खत्म किया जाना चाहिए।

Share
Avatar
About Author

hariyarexpressnews