छत्तीसगढ़ के बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने के किसी भी प्रयास का कांग्रेस विरोध करेगी – दीपक बैज
हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मोदी सरकार ने नगरनार संयंत्र को बेचने की फिर से तैयारी शुरू कर चुकी है। खबरें ऐसी भी है कि दो माह में निविदा बुलाई जा सकती है। कांग्रेस पार्टी एनएमडीसी बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने के किसी भी प्रयास का विरोध करती है। इस संयंत्र के लिये बस्तर के आदिवासियों ने अपनी जमीन एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट को दी थी। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के जरिए इस जमीन का मकसद बस्तर का विकास था। आदिवासियों ने अपनी जमीन मुआवजे के लिये नहीं दी थी बल्कि इसलिए दी थी, कि आने वाले समय में उनको रोजगार मिल सके और साथ ही क्षेत्र का विकास हो। नगरनार सिर्फ इस्पात संयंत्र ही नहीं है यह बस्तर के आदिवासियो के सुनहरे कल की उम्मीद है, लोगों ने रोजगार और व्यापार के अवसर पैदा होने की उम्मीद से इस्पात संयंत्र को बनाने में सहयोग किया था। मोदी सरकार कुछ निजी उद्योगपतियो को फायदा पहुंचाने नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने का जो प्रयास कर रही है, कांग्रेस इसको लेकर छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में जन आंदोलन छेड़ेगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले बस्तर की जनता से आमसभा में 3 अक्टूबर 2023 को वादा किया था कि नगरनार इस्पात संयंत्र बस्तर की जनता की संपत्ति है इसे नहीं बेचा जायेगा। इसी दिन इस संयंत्र का प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन भी किया था लेकिन अब मोदी अपने वादे से पलट रहे है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने के खिलाफ छत्तीसगढ़ के बस्तर की जनता विरोध में है। बस्तर की जनता ने निजीकरण के खिलाफ बस्तर बंद का आह्वान किया था, पूरा बस्तर बंद था। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई मौकों पर निजीकरण को लेकर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। 21 फरवरी 2021 को नीति आयोग की बैठक में तो उन्होंने एक क़दम आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि राज्य सरकार प्लांट के संचालन की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार है। छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने इस आशय का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजा था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की ओर से सरकार बनने से पहले विधानसभा अशासकीय संकल्प लाया गया था और सरकार बनने के बाद बकायदा शासकीय संकल्प लाकर इसके बेचने का विरोध किया गया था। उस संकल्प में कांग्रेस सरकार की ओर से कहा गया था कि अगर मोदी सरकार इसे बेचना ही चाहती है तो इसे राज्य सरकार को सही कीमत लेकर बेच दे और राज्य सरकार इसे चलाएगी। लेकिन केंद्र सरकार ने नियमों में परिवर्तन करके राज्य सरकार को बोली लगाने से रोक दिया था। साफ है कि मोदी सरकार इसे अपने मित्र उद्योगपतियों को बेचना चाहती है।