November 26, 2024

Office Address

123/A, Miranda City Likaoli
Prikano, Dope

Phone Number

+0989 7876 9865 9

+(090) 8765 86543 85

Email Address

info@example.com

example.mail@hum.com

Politics State

10 साल से अघोषित आपातकाल लगाने वाले किस मुंह से काला दिवस मना रहे…

10 साल से अघोषित आपातकाल लगाने वाले किस मुंह से काला दिवस मना रहे…

मोदी सरकार में मूलभूत की सुविधा खत्म संविधान खतरे में हर वर्ग डरा हुआ यह आपातकाल

हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा किस मुंह से आपातकाल के विरोध में आज काला दिवस मना रही है बीते 10 वर्ष से देश में अघोषित आपातकाल चल रहा लोकतंत्र का गलाघोटा जा रहा हैं। संविधान खतरे में है संविधान बदलने की साजिश रचा जा रहा है लोगों की मूलभूत की सुविधा खत्म हो गई है हर वर्ग में हताशा दिख रहा है मोदी सरकार की कुनीतियों के खिलाफ बोलने से लोग डर रहे हैं मीडिया पर क्या दिखेगा छपेगा यह पीएमओ दफ्तर तय कर रहा है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार मोदी सरकार में न्यायालय के जज प्रेस वार्ता करके जनता की अदालत से न्याय मांग रहे हैं पेपर लीक हो रहा है सरकारी संपत्तियों बिक रही है गरीब जनता के ऊपर भारी भरकम टैक्स लगाया जा रहा है व्यापारियों को डराया धमकाया जा रहा। लोकतंत्र में चुनी हुई सरकारों को ध्वस्त किया जा रहा है विपक्षी दल के नेताओं के ऊपर झूठे मुकदमे दर्ज किया जा रहे हैं उन्हें जेल में बंद किया जा रहा है किसानों को रोकने सड़कों में कील ठोकी गई कांक्रीट की दीवार उठाई गई। सीबीआई, ईडी जैसी संस्थाएं विपक्ष को चुप कराने के लिए काम कर रही है आपातकाल से बतर स्थिति 10 साल से देश में है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा काला दिवस मनाकर मोदी सरकार की तानाशाही तुगलक्की सोच से जनता का ध्यान भटकना चाहती है। जनता सब देख रही है। भाजपा नेताओं में दम नहीं है कि किसान नौजवान माता बहनों श्रमिको व्यापारियों की आवाज को उठा सके।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि देश के संवैधानिक इतिहास में जितने अलोकतांत्रिक फैसले मोदी राज में हुए उतने आज तक कभी नहीं हुए। विपक्षी दलों के सांसदों को सदन से बाहर करके एक-एक दिन में दर्जनों जन विरोधी कानून पास किए गए, तब तथाकथित लोकतंत्र सेनानी कहां थे? 13 श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन बिना चर्चा के पारित किए गए। वन अधिकार अधिनियम में आदिवासी विरोधी संशोधन थोपा गया, नो-गो एरिया को संकुचित किया गया। वन क्षेत्रों में कमर्शियल माइनिंग जबरिया शुरू किया गया। यहां तक की न्यायपालिका पर भी अनुचित दबाव बनाए गए इसके विरोध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित पांच जजों को सड़क पर आकर पत्रकार वार्ता करना पड़ा। असलियत यही है कि भाजपा और आरएसएस का मूल चरित्र ही लोकतंत्र विरोधी है।

Share
Avatar
About Author

hariyarexpressnews