बिना रोडमैप का दिशाहीन बजट : आम जनता,अन्नदाता किसान, युवाओं, महिलाओं और गरीब की उम्मीदों और आकांक्षाओं के विपरीत बजट
हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय गंगवानी ने कहा कि आज वित्त मंत्री द्वारा देश का आम बजट पेश किया गया. वर्तमान समय में देश में महंगाई और बेरोजगारी और आर्थिक असमानता चरम पर है. इस बजट से देश की आम जनता, किसान, गरीब, मजदूर, महिला और युवा वर्ग को एक उम्मीद और एक आस लगाकर बैठे थे कि इस बजट में उसके लिए कुछ खास होगा, सरकार कुछ जनकल्याणकारी योजनाएं लेकर आएगी, देश में रोजगार सृजन का ब्लूप्रिंट लेकर आएगी, आम जनता की जेब में सीधा पैसा डालकर उनको आर्थिक रूप से संबल देने करने का काम करेगी परंतु यह बजट आम जनता की उम्मीद और अपेक्षाओं के पूरी तरह विपरीत निकला, केंद्रीय बजट का पिटारा पूरी तरह खाली है. इस बजट से देश की आम जनता और हर वर्ग पूरी तरह निराश और हताश है.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय गंगवानी ने कहा कि देश का बजट सिर्फ आय और व्यय का ब्यौरा नहीं होता, बल्कि यह वर्तमान सरकार का “पॉलिसी डॉक्युमेंट“ होता है, जो यह बताता है कि आने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार आम जनता के हितों के लिए किस प्रकार से काम करेगी, क्या ब्लूप्रिंट और क्या कार्य योजना होगी, परंतु यह बजट पूरी तरह से बिना रोडमैप का दिशाहीन और उद्देश्य विहीन बजट है. एक सर्वे के अनुसार देश की 86 प्रतिशत जनसंख्या चाहती थी कि आयकर छूट बेसिक लिमिट को 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया जाये, पिछले 10 सालों में इन्फ्लेशन दुगने से भी ज्यादा हो चुका है, परंतु केंद्र की मोदी सरकार 11सालों में लिमिट 1 रूपए भी बढ़ाने के लिए तैयार नहीं सिर्फ न्यू टैक्स रिजिम में लिमिट को 3 लाख से बढ़कर 4 लाख किया गया है लेकिन न्यू रिजिम में बहुत सारी छूट का लाभ आयकर दाता को नहीं मिल पाता, केंद्र सरकार की नियत नीति और मंशा पूरी तरह स्पष्ट है वह देश के आम नागरिक को कोई सीधा फायदा देने का कोई प्रयास नहीं करना चाहती. देश में विकराल बेरोजगारी,बढ़ती महंगाई और बढ़ती आर्थिक समानता से निपटने के लिए कोई ठोस कदम इस बजट में नहीं उठाया गया है. बढ़ती महंगाई के चलते देश के गरीब आदमी की परचेसिंग कैपेसिटी में 69 प्रतिशत और मिडिल क्लास की परचेसिंग कैपेसिटी में 30 प्रतिशत की कमी आई है परंतु केंद्र की मोदी सरकार महंगाई से निपटने के लिए कोई प्रयास नहीं करना चाहती.
आयकर में सेक्शन 80-सी के अंतर्गत निवेश पर मिलने वाली छूट को भी 1.5 लाख रुपए से 1 रूपए भी नहीं बढ़ाया गया, जबकि देश के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक और सी.ए एसोसिएशन इसे बढ़ाकर 3 लाख करने की अनुशंसा कर रहे थे. देश के हर आम आदमी का एक सपना होता है की उसका स्वयं का घर हो, घर बनाना दिन प्रतिदिन महँगा होते जा रहा, आम आदमी के हित के लिए होम लोन पर ब्याज की छूट को 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए करने की आवश्यकता थी परन्तु उस लिमिट में भी कोई वृद्धि नहीं की गई. इंश्योरेंस कंपनियां मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि कर चुके हैं परन्तु केंद्र सरकार सेक्शन 80-डी के अंतर्गत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम की मिलने वाली छूट की लिमिट को भी 25000 रू. से बढ़ाने के लिये तैयार नहीं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय गंगवानी ने कहा कि इस बजट में छत्तीसगढ़ की जनता को फिर एक बार निराश किया, ना छत्तीसगढ़ के लिए कोई नई योजना, ना कोई विशेष पैकेज, ना कोई फायदे की बात, छत्तीसगढ़ की जनता को फिर से एक बार इस बार के केंद्रीय बजट में छला गया और छत्तीसगढ़ की जनता खाली हाथ रही..ना कोई नई योजना, ना कोई विशेष पैकेज. बिहार में अक्टूबर नवंबर में विधानसभा चुनाव है, चुनावी फायदे, व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि और राजनीतिक हितों को साधने बिहार के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणाएं की गई है. यह बजट देश के आम नागरिक के फायदे का ना होकर सिर्फ और सिर्फ भाजपा को फायदा पहुंचाने वाला चुनावी बजट बनकर रह गया है.है छत्तीसगढ़ में भाजपा का डबल इंजन की सरकार का दावा फिर एक बार जुमला साबित हुआ।
लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस के घोषणा पत्र में युवा न्याय के माध्यम से ग्रेजुएट या डिप्लोमा धारी युवाओं को निजी एवं सरकारी कंपनियों में इंटर्नशिप के माध्यम से रोजगार की बात की गई थी, इसी योजना को केंद्रीय बजट में कॉपी किया गया है.
देश की 42 प्रतिशत जनसंख्या किसानी कार्य से जुड़ी है इस बजट में ना किसानों को एमएसपी की गारंटी दी गयी, ना फसल बीमा सुधार के कोई व्यवस्था.
देश में लगभग कुल 4 प्रतिशत के आसपास सरकारी कर्मचारी हैं और और लगभग 4.50 प्रतिशत के आसपास प्राइवेट नौकरी में कुल 8.50 प्रतिशत के आसपास नौकरीपेशा है.
91 प्रतिशत लोगों की अनदेखी की गयी है. केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में देश का आम आदमी न होकर कॉर्पोरेट और उनके पूंजीपति मित्र है. प्रधानमंत्री आवास के बजट में 40 प्रतिशत की कटौती, जल जीवन मिशन में 67 प्रतिशत की कटौती, कृषि बजट में 7 प्रतिशत की कटौती, शिक्षा के बजट में 9 प्रतिशत की कटौती इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है।