November 25, 2024

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भिलाई में सावन मास में शुरू हुई पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण: पहले दिन बरसते पानी में पहुंचे लाखों भक्त… छाता लेकर भी सुनते दिखे कथा, कथावाचक ने कांवड़ यात्रा का उल्लेख कर बांस और गंगा जल का बताया महत्व

भिलाई में सावन मास में शुरू हुई पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण: पहले दिन बरसते पानी में पहुंचे लाखों भक्त… छाता लेकर भी सुनते दिखे कथा, कथावाचक ने कांवड़ यात्रा का उल्लेख कर बांस और गंगा जल का बताया महत्व

– सावन की तीनों कथा का सौभाग्य छत्तीसगढ़ को…

– एक लोटा जल से मिलती है शिवजी की कृपा- पंडित प्रदीप मिश्रा
– “शिव जी को जल चढ़ाने वाला एक दिन सेठ जरूर बनता है”
– कांवड़ यात्रा का उल्लेख, पंडित जी ने बांस का बताया महत्व
– “वेषण, वासना और निंदा से दूर रहने वाला ब्राह्मण, वेद पुराण पढ़े हुए के तुल्य”
– “दुर्ग की दो महिलाओं कप शिव जी को जल चढाने से संतान प्राप्ति का मिला वरदान “
– दया सिंह जी आपके माता-पिता, दादा, परदादा आपके मित्र आपके ग्रुप ने कुछ पुण्याई किया होगा- पंडित मिश्रा
– गंगा में फैक्ट्री का गंदा पानी भी बन जाता है गंगाजल
– पंडित मिश्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस की नाशमुक्ति अभियान को सराहा

हरियर एक्सप्रेस, भिलाई। भिलाई के जयंती स्टेडियम में आज गुरुवार यानि की 25, जुलाई से अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण आरंभ हुई। सावन के पावन महीने की पहली कथा छत्तीसगढ़ में हो रही है, खास बात ये है कि, पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, सावन में होने वाली तीनों कथा का सौभाग्य छत्तीसगढ़ की पावन धरा को मिला है। आपको बता दें, लखनऊ में होने वाली कथा रद्द होने की वजह से भिलाई के बोल बम सेवा एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष दया सिंह ने कुछ दिनों के अंदर कथा की तैयारी करवाई है। शिवमहापुराण के पहले दिन बरसते पानी के बीच लाखों की संख्या में शिवभक्त रेनकोट और छाता लेकर कथा सुनने पहुंचे। भक्तों में पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्रीमुख से कथा सुनने का गजब का उत्साह देखने को मिला।

सावन की तीनों कथा का सौभाग्य छत्तीसगढ़ को…

कथा की शुरुआत से पहले पंडित जी व्यास पीठ पर पधारे साथ में जजमान दया सिंह भी थे। पूरा कथा स्थल “हर-हर महादेव”, “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” और “बोल बेम का नारा है, बाबा एक सहारा है” जैसे जयकारों से गूंज उठा। बरसते पानी और कीचड़ में भी लाखों भक्त शिवमहापुराण सुनने के लिए जुटे। भजन से पहले दिन की कथा की शुरुआत हुई। पंडित जी ने व्यास पीठ से लाखों भक्तों की तारीफ करते हुए कहा कि, बारिश में भी पंडाल में और जिनको पंडाल में जगह नहीं मिली दूर-दूर तक आप सब छाते लेकर बैठे है। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, छत्तीसगढ़ महतारी की जय बोलते हुए उन्होंने भक्तों से कहा- दया सिंह पार्षद है लेकिन 5 दिन में इतनी बड़ी तैयारी कोई मिनिस्टर भी नहीं करवा सकता। उन्होंने कहा- सावन में तीनों कथा छत्तीसगढ़ में है, पहले एक उत्तर प्रदेश के लखनऊ में थी परन्तु जहां कथा होना था वहां बारिश का पानी भर गया। समिति के पास एक लिस्ट होती है, उसमें जजमान का नाम होता है। उसमें सबसे पहले नंबर दया सिंह का था। कहते है की सावन में एक लोटा जल चढ़ाने से बहुत पुण्य मिलता, दया सिंह ने तो लाखों लोगों को कथा का पुण्य पीला दिया।

एक लोटा जल से मिलती है शिवजी की कृपा- पंडित प्रदीप मिश्रा

पंडित जी ने कथा वाचन के दौरान कहा, पहले के मुकाबले अब भगवन को प्राप्त करना आसान हो गया है, पहले सालों यज्ञ और तपस्य करना पड़ता था, पर अब कलयुग में केवल एक लोटा जल भगवन शिव को चढ़ा दो तो मेरे शिव की कृपा आपके ऊपर बरसती है। उन्होंने कहा, पुरे वर्ष एकलोटा जल महादेव को चढ़ाएं और सावन में दो लोटा जल चढ़ाएं, क्योकि सावन में हमारी भक्ति दोगुनी हो जाती है। उन्होंने आगे कहा कि, मैं न्यू खुर्सीपार के अग्रवाल समाज के अग्रेसन भवन में रुका हूं। आज सुबह जब में मॉर्निंग वाक कर रहा था, तब एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि, हम एक ऐसी संस्था से जुड़े है जो कहती है की मूर्ति पूजा न करो, मूर्ति घर से बाहर निकाल दो और भगवान का ध्यान लगाकर बैठो, उन्होंने इसका जवाब व्यासपीठ से दिया और कहा कि, जो कहते है मूर्ति की पूजा न करो उनसे कहना की वो शादी न करे, बच्चा न करे, केवल ध्यान लगा के बैठे, ध्यान लगाने से क्या शादी हो जाएगी, क्या लुगाई आ जाएगी या बच्चें हो जाएंगे?, उन्होंने कहा इंसान को मेहनत भी करना पड़ता है।

“शिव जी को जल चढ़ाने वाला एक दिन सेठ जरूर बनता है”

उन्होंने आगे कहा कि, कोई लेट बनता है, कोई जल्दी बनता शिव जी को जल चढ़ाने वाला एक दिन सेठ जरूर बनता है। उन्होंने कहा कि, इंसान के दो पार्ट होते है। एक मन और एक शरीर, शरीर को घूमने दो और मन को शंकर जी भक्ति में स्थिर रखो, जिस दिन हमारा मन स्थिर हो गया तो फिर हमारा मन कभी बिगड़ता नहीं। उन्होंने आगे कहा कि, मंथरा अयोध्या में रहने के बाद भी बिगड़ी और विभीषण लंका में रहने के बाद भी नहीं बिगड़ा। आपके बच्चे को बाल अवस्था में जो संस्कार दिया जाए, वहीं आगे उनका व्यक्तित्व बनता है। उनका मन स्थिर होना चाहिए। बच्चे कभी न बिगड़े और गलत न करें, मेरा आप सब से आग्रह यही की अपने बच्चों के हाथ में एक लोटा जल दो ताकि वो शिव जी पर चढ़ा सके और उनका शरीर भले घूमता रहे पर मन स्थिर रहे।

कांवड़ यात्रा का उल्लेख, पंडित जी ने बांस का बताया महत्व

उन्होंने बम्बू का बांस का उल्लेख किया और कहा कि, शादी से मरण तक हर वक्त, शुरू से आखिरी तक बांस हमारे साथ रहता है, बम्बू के बांस में बीच में पोला होता है, कांवड़ यात्रा में भी हम अपने कंधे में बांस में दो कलश बांध और बोल बम बोलते-बोलते यात्रा में जाते है। सावन में क्यों बांस की महत्व बढ़ जाती है, उसका क्या कारण है? उन्होंने कहा, इस बांस में गांठ है और सरल भाषा में बोला जाए तो हमारे भारत के जो जगत गुरु शंकराचार्य है वो भी अपने पास बांस का डंडा रखते हैं। जिस प्रकार बांस में गांठे होती, जैसे-जैसे हम कावड़ यात्रा में महादेव के पास पहुंचते है, वैसे-वैसे हमारे जिंदगी के गांठे भी खुलती जाती है।

“वेषण, वासना और निंदा से दूर रहने वाला ब्राह्मण, वेद पुराण पढ़े हुए के तुल्य”

उन्होंने कहा कि, अगर कोई ब्राह्मण अगर वेषण, वासना और निंदा से दूर है, तो समझ लेना वो ब्राह्मण पुरे वेद पुराण पढ़े हुए ब्राह्मण के तुल्य हो। रावण एक ब्राह्मण था पर वो वेषणा, वासना और निंदा में डूबा रहा, इसलिए कोई दिया जलने वाला न बचा। आप भले वेद पुराण न पढ़े, आप भले शास्त्र न पढ़े भले विद्वान् न बने, पार आप वेषणा से दूर हो, आप वासना से दूर हो और आप किसी की निंदा नहीं करते, तो कही न कही आप शंकर राम, कृष्णा के रूप में मृत्युलोक में आए हो।

“शिव जी को जल चढाने से संतान प्राप्ति का मिला वरदान “

पंडित जी ने चंदखुरी दुर्ग निवासी योगिता साहू का एक पत्र पढ़ा, उसमें लिखा था कि, मैं चंदखुरी दुर्ग में रहती हुं शादी के सालों बाद भी संतान का सुख नहीं मिल रहा था फिर मुझे किसी ने बताया कि, पंडाल में बैठ कर शिवमहापुराण कथा सुनकर जो मन्नत मांगोगे वो मिल जाता है, वो सिहोरे वाले बाबा तो दूर-दुर घूमकर कथा सुनाते है, हमने सोचा पंडित जी यहां कहा आएंगे, पर लॉकडाउन के दौरान भिलाई में आपकी कथा हुई मैंने पंडाल में बैठ कर संतान की मांग भगवान् से की और मुझे शादी के 8 साल बाद संतान प्राप्त हुआ। इसी तरह कोडिया दुर्ग निवासी दीप्ती साहू के भी पत्र को पंडित जी ने पढ़ा, जिसमें लिखा था, मेरे पति और मेरी शादी को कई वर्ष बीत गए थे, संतान के लिए तरस रहे थे, तब मुझे पास वाली आंटी ने कहा की, पास के शिवमंदिर में जल चढ़ाना शुरू करो हमने लगातार जल चढ़ाया और हमारे घर में किलकारी गुंजी। हमें संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त हुआ। पंडित प्रदीप मिश्रा ने दोनों महिलाओं के बच्चों को व्यास पीठ के पास बुलाया और आशीर्वाद दिया।

पंडित मिश्रा ने की छत्तीसगढ़ पुलिस की तारीफ

पंडित जी ने छत्तीसगढ़ पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि, देश में शायद ही कोई पुलिस हो जो नशे के रोकथाम के लिए अभियान चला रही है, छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए जोरदार तालियां हो जाएं। लोग कहते हैं शंकर जी भांग पीते है, गांजा पीते है, इसलिए सभी ने ऐसा फोटो बना दिया, न मेरे शंकर जी कोई नशा करते है वो तो नशा से दूर रहने कहते है। लोग सड़क पर मवेशी बैठे रहे तो बोलते है की आवारा पशु बैठे है, आवारा गाय नहीं, तुम्हरी दृष्टि हो गई, जैसे मन में रहेगा वैसा दिखेगा। तुमने दूध निकाल कर सड़क पर गौमाता को छोड़ दिया, वो कहीं कचरा खा कर कैसे भी गुजारा तो करेंगी। धरती उनकी भी है।

दया सिंह जी आपके माता-पिता, दादा, परदादा आपके मित्र आपके ग्रुप ने कुछ पुण्याई किया होगा- पंडित मिश्रा

इस दौरान उन्होंने आयोजन दया सिंह से कहा कि, दया सिंह जी आपके माता-पिता, दादा, परदादा आपके मित्र आपके ग्रुप ने कुछ पुण्याई किया होगा, पुण्य का घड़ा भरा होगा की सावन की पहली कथा भिलाई में हो रही है। उन्होंने कहा भिलाई के आप सब लोगों ने पुण्य किया होगा, बरसते पानी में आप कथा सुन रहे हो, ऐसे बारिश में कोई किसी के शादी में न जाए पर छाता पकड़ कर आप लोग शिवमहापुराण का श्रवण कर रहे, सिर्फ भगवन को प्राप्त करने के लिए।

गंगा में फैक्ट्री का गंदा पानी भी बन जाता है गंगाजल

कई लोग कहते हैं यहां का जल भगवन को मत चढ़ाओ वह गंदा है। शिव महापुराण कथा कहती है शंकर जी के करीब जाने वाला कांटे धार धतूरा भी फल बन जाता है, शंकर जी के पास जाने वाला राख भी करोड़ों में बिक जाता है, शंकर जी के करीब में जाने से जल भी गंगाजल बन जाता है। गंगा जी में बहुत सारी फैक्ट्री का गंदा पानी जाता है, यमुना जी में बहुत से फैक्ट्री का पानी जाता है, इसी तरह नर्मदा, कावेरी और गोदावरी समेत कई नदियों में फैक्ट्री का गंदा पानी जाता है, पर गांजा जी में जाने वाला जल गंगा जल बन जाता है, वह शुद्ध जल बन जाता है। इसी प्रकार जल हमेशा पवित्र रहता है उसकी पवित्रता कभी समाप्त नहीं होती उसमें कितना भी गंदगी हो, जल-जल होता है।

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