November 25, 2024

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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में बृजमोहन ने कहा…

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में बृजमोहन ने कहा…

मोदी सरकार के रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म के चमत्कारिक संकल्प ने भारत को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाया।

मैं उम्मीद करता हूँ कि विपक्षी विरोध, वैमनस्य की राह ना पकड़े,बदलते दौर में यह समय संकल्प से सिद्धि का है,राष्ट्र के उत्थान का है।

बृजमोहन ने कहा –

हमराह चलो मेरे या राह से हट जाओ

दीवार के रोके से दरिया कहीं रूकता है।

हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। राष्ट्रपति की अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लिखित रूप से अपनी बात रखते हुए रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि माननीय राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में भारतीय विकास यात्रा की मजबूती और सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं तथा अन्य अनेक विषयों के साथ वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती साख का उल्लेख किया। इतना ही नहीं राष्ट्रपति जी ने इस बार आने वाले महीनों में देश की आर्थिक नीति की आकृति कैसी होगी इसका भी उल्लेख किया।

इससे बिल्कुल साफ है कि यह सरकार पहले की तरह ही काम करेंगी और उन सभी कार्यों को पूरा करने पर ध्यान देगी। जिनका उल्लेख यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले कुछ समय से लगातार करते आ रहे है अर्थात् रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म के प्रधानमंत्री के चमत्कारिक संकल्प ने भारत को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना दिया हैं। सबसे उल्लेखनीय यह है कि राष्ट्रपति महोदया ने नई सरकार के पहले बजट से अपेक्षा की कि उसमें अनेक ऐतिहासिक कदम उठायें जायेंगे और वह निश्चित ही दूरगामी दृष्टिकोण लिये होगा जिसमें सरकार की दूरगामी नीतियों प्रभावी ढंग से दिखाई देंगी।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले समय में नीति, नीयत और निर्णयों से देश के हर वर्ग को मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्टार्टअप योजना का क्रियान्वयन। निश्चित ही यह गौरव का विषय 675 में से 600 जिलों में यह काम कर रहा है। हमारा खिलौना का निर्यात 1844 करोड़ों रूपये का हो गया है। हमारा डिफेन्स एक्सपोर्ट एक दशक में 21 हजार करोड़ तक पहुँच गया है। यानि इसमें 18 गुना की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में 2 डिफेन्स कोरिडोर्स विकसित हो रहे है।

इतना ही नहीं में गर्व से कहना चाहता हूँ कि गुलामी के दौर की दण्ड व्यवस्था एक जुलाई से खत्म हो रही है। अब देश में भारतीय न्याय संहिता लागू की जा रही है। यह श्री नरेन्द्र मोदी जी के साहस और संकल्प का परिचायक कें

विदेशी मकबरों से हिन्दुस्तान की खायत ढूढ़ने वालों को मानना पड़ेगा कि “संस्कृत इज है मदर ऑफ ऑल यूरोपियन लेग्वेजेस” और इसलिये भी मानना पड़ेगा कि यह में नहीं विलियम जॉन्स कह रहा है भारतीय संस्कृति का अभव और विरासत हमारी थाती है और इसी को लेकर विश्व की अगुवाई कर सकते हैं। और निश्चित ही करेंगे।

नालन्दा विश्वविघालय अपने अतीत में भी वैश्विक ज्ञान केन्द्र रहा है। और नई सरकार की संकल्पना है कि अपने भव्य संकुल के साथ फिर से यह वैश्विक ज्ञान का केन्द्र होगा अपनी विरासत से आधुनिक भारत यानि नई पीढ़ी को जोड़ना आवश्यक हैं ताकि वह परम्परा को अंधी लाठी से ना पीटे। यहीं वह बात है कि भगवान बिरसामुण्डा के जन्म दिवस को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। रानी दुर्गावती या माता आहिल्या बाई इनकी जन्म जयन्ती को व्यापक रूप से मनाने का कार्य इस सरकार ने किया। इसके साथ ही गुरुनानक देव जी के 350 वें प्रकाश पर्व की अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर भी सुनाई दी।

उन्होंने कहा दूरदृष्टा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी समकालीन समाज की हर नब्ज पर बराबर दृष्टि रखते है इसीलिये भी टेक्नॉलोजी पर भी जोर देते रहे है और यहीं कारण है कि आज 82 करोड़ इन्टरनेट यूजर्स है। चन्द्रमों के दक्षिण ध्रुव पर भारत की सफलता सबके लिये गर्व का विषय होनी चाहिये। इस महान देश की राष्ट्रपति जी ने अभिभाषण में कहा “आज हमारे युवाओं में जो सामर्थ्य है आज हमारे संकल्पों में जो निष्ठा है, हमारी असम्भव लगने वाली उपलब्धियों, ये इस बात का प्रमाण है कि आने वाला दौर भारत का दौर है।”

मैं कहना चाहूँगा, कि ऐग्रीकल्चर, मैनुफैक्चरिंग सर्विसेज और इन्फ्रास्ट्रक्चर मैं अनेक उपलब्धियों के बावजूद क्या दुर्भाग्य कि बांग्लादेश के एक अखबार में शशि थरूर जैसे नेता ने लेख लिखा कि “मोदी हेज टू गो” में पूछना चाहता हूँ कि भारत के बाहर लेख लिखने की क्या जरूरत थी इसी तरह सेम पित्रीदा ने पश्चिम में रहने वालों की तुलना अब उत्तर भारत की तुलना गौरो और दक्षिण भारत में रहने वालों की तुलना अफ्रीका में रहने वाले लोगों से की थी। फिर वे उत्तराधिकार कानून की बात ले आये। अभिप्राय यह है कि यह पहचानने की जरूरत है कि वस्तुतः लोकतंत्र को कमजोर करने वाली ताकते कहाँ है। और कौन सी है ? विघटनकारी, जिनका उल्लेख राष्ट्रपति जी ने किया चिन्ता का विषय है।

इसी तरह जहाँ दुनिया 2024 के चुनावों की चर्चा कर रही है, जो 60 सालों में लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार देख रही है वहीं कुछ लोग लोकतंत्र को खतरे में बता रहे है। संविधान विपक्षी लोगों की तरह सिर्फ लहराने का विषय नहीं है यह मोदी जी के लिये महज राजकाज की पुस्तक भी नहीं है। यह उनके लिये लोकतांत्रिक आराधना है और इसीलिये वे इसे भारतीय जन चेतना का हिस्सा बनाने के लिये कटिबद्ध है।

उन्होंने कहा मैं देश के छत्तीसगढ़ राज्य से आता हूँ। पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटलबिहारी वाजपेयी जी ने इसका निर्माण कराया था। और नरेन्द्र मोदी जी अब इसे संवारने में लगे है। भाजपा की सरकार बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में जनता का भरोसा जगा है। और लोग मानने लगे है कि उनकी सरकार जल्दी ही उनकी अपेक्षाओं को पूरा करेगी।

बृजमोहन ने कहा मैं राज्य में पाँच बार का मंत्री रहा हूँ और मैं पहली बार लोकसभा के लिये रायपुर से निर्वाचित होकर आया हूँ। मैं यह देखकर दंग था कि आपातकाल के उल्लेख करने मात्र से कांग्रेसी साथी भभकने लगे। आपातकाल इस देश के लोकतंत्र का काला अध्याय था। जिन्होंने इसे झेला है उनमें से कुछ राजनीतिक लाचारी के चलते आज इनके साथ गलबाहें कर रहे है। फिर भी में नहीं समझता कि आपातकाल के छालों से उपजी जलन ठण्डी पड़ गई हैं। जिन्होंने संविधान का चुप करा दिया, लोकतंत्री दलों को लहुलुहान कर दिया वह किस मुँह से संविधान की बात करते है यह चिन्ता की बात है कि कांग्रेस को आपातकाल के दुर्दिनों कि याद पर भी आपत्ति है।

जहाँ तक नीट या अन्यान्य परीक्षाओं के उठे सवाल पर नई पीढ़ी का प्रश्न है मुझे यकीन है कि हमारी सरकार इसका सर्वमान्य हल खोजने में जुटी है। इसमें शिरकत करने की आवश्यकता है। यह मसला विघार्थियों के जीवन का है। दलगत राजनीति में चेहरे चमकाने का नहीं।

मैं उम्मीद करता हूँ कि विरोध, वैमनस्य की राह ना पकड़े आशा है कि बदलते दौर में यह समय संकल्प से सिद्धि का है। कहते है कि

हमराह चलो मेरे या राह से हट जाओ

दीवार के रोके से दरिया कहीं रूकता है।

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