November 25, 2024

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साहित्य वह सेतु है जो अतीत और वर्तमान को जोड़कर हमारी सांस्कृतिक पहचान को सहेजने में मदद करता है: बृजमोहन अग्रवाल

साहित्य वह सेतु है जो अतीत और वर्तमान को जोड़कर हमारी सांस्कृतिक पहचान को सहेजने में मदद करता है: बृजमोहन अग्रवाल

जिला स्तर पर छत्तीसगढ़ के पर्यटन, संस्कृति, तीज- त्यौहार, परंपरा को साहित्य के मध्यम से बढ़ावा देना जरूरी: बृजमोहन अग्रवाल

छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन में शामिल हुए बृजमोहन अग्रवाल

हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। साहित्य एक शक्तिशाली माध्यम है जो छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास, समृद्ध संस्कृति, और परंपराओं को सजीव रूप में प्रस्तुत करने का कार्य करता है।

यह विचार रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के रजत जयंती अवसर पर आयोजित “25वें छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन” के दौरान कहीं।

उन्होंने यह भी कहा कि, साहित्य वह सेतु है जो अतीत और वर्तमान को जोड़कर हमारी सांस्कृतिक पहचान को सहेजने में मदद करता है।

उन्होंने लोक साहित्य, कविता, कहानियाँ, और नाट्यकला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, आदिवासी जीवन, प्राकृतिक सौंदर्य और संघर्षशीलता को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचने पर जोर दिया।

साथ ही कहा कि, साहित्यकारों को राज्य के सभी 33 जिलों के पर्यटन, संस्कृति, सभ्यता,तीज तिहार, परंपरा की जानकारी को संग्रहित कर जिला स्तर पर पुस्तक का प्रकाशन कराना चाहिए। छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों को संपूर्ण छत्तीसगढ़ की कल्पना करनी पड़ेगी और छत्तीसगढ़ी के सहयोगी भाषा को लेकर चलना होगा। आज की नई टेक्नोलॉजी में छत्तीसगढ़ी के लेखकों को सोशल मीडिया जैसे ट्विटर , फेसबुक, व्हाट्सएप इंस्टाग्राम पर भी सक्रिय होकर अपनी बातों को छत्तीसगढ़ी में रखना होगा। देश दुनिया में कैसे पहचान बने इसकी विशेषता बतानी होगी, इसके लिए साहित्यकारों को जवाबदारी निभानी होगी।

वृंदावन सभागार में आयोजित सम्मेलन में 3 सत्र में कार्यक्रम का आयोजन हुआ । प्रथम सत्र में सरस्वती वंदना के पश्चात “छत्तीसगढ़ी वाचिक परंपरा- बोली से भाषा तक” विषय पर विचार गोष्ठी हुई । यह रजत जयंती समारोह संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय सुशील यदु की पुण्यतिथि के अवसर पर किया गया जिसके दूसरे सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बृजमोहन अग्रवाल सांसद रायपुर लोकसभा रहे वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता राजश्री डॉ. महंत रामसुंदर दास पीठाधीश्वर श्री दूधाधारी मठ, विशेष अतिथि डॉ. अभिलाषा बेहार सचिव राजभाषा आयोग रहीं। इस अवसर पर सुरता सुशील यदु के रूप में स्मारिका का विमोचन हुआ साथ ही डॉ राजेश कुमार मानस की दो पुस्तक अंतस के पीरा और जिंदगी के रंग, श्रीमती शकुंतला तरार के सात लर के करधन, डॉक्टर कमल वर्मा की कमल पुष्पांजलि, डॉक्टर जय भारती चंद्राकर की सुवा के गोठ, अशोक पटेल की दो पुस्तक व गजपति राम की पुस्तक का विमोचन हुआ। छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य संस्कृति के लिए जीवन समर्पित करने वाले स्वर्गवासी साहित्यकार की याद में वरिष्ठ साहित्यकार व कलाकार को सम्मान दिया गया जिसमें हरि ठाकुर सम्मान डॉक्टर के आर सोनी रायपुर, सुशील यदु सम्मान श्रीमती चमेली नेताम बस्तर, डॉ. बलदेव साव सम्मान यशवंत धोटे रायपुर, केयूर भूषण सम्मान डॉ.आशीष नायक धमतरी, लक्ष्मण मस्तुरिया सम्मान सनत तिवारी बिलासपुर, नारायण लाल परमार सम्मान बलदेव राम साहू दुर्ग, मिथलेश साहू सम्मान डॉ जगदीश कुलदीप चकरभाठा, हेमनाथ यदु स्मृति सम्मान ताम्रध्वज वर्मा खैरागढ़, राकेश सोनी स्मृति सम्मान ओम त्रिपाठी, शिवकुमार यदु शिकुम स्मृति सम्मान डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकार रायपुर, पंडित अमृतलाल दुबे स्मृति सम्मान बुधराम यादव बिलासपुर को दिया गया साहित्य वह कला सम्मान डॉ सरोज साहू पिथौरा, डॉ अग्रसेन कन्नौजे बिल्हा, डाॅ रामनारायण धुर्वे मुंगेली, ईश्वर साहू बंधी, भोजराज धनगर रायपुर को दिया गया द्वितीय सत्र का संचालन अध्यक्ष कान्हा कौशिक व केशव साहू द्वारा किया गया आभार प्रदर्शन डॉ. राघवेंद्र दुबे द्वारा किया गया।

 

प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि डॉ विनय कुमार पाठक, कुलपति गोपालगंज बिहार, अध्यक्षता डॉ जे आर सोनी, संरक्षक व पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ परदेसी राम वर्मा व डॉ विनोद वर्मा रहे। वक्ताओं में प्रमुख रूप से डॉ. सुखदेव राम साहू सरस रायपुर, बलदेव राम साहू भिलाई, प्रोफेसर डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किया। सत्र संचालन डॉ. राजेश कुमार मानस महासचिव ने किया आभार प्रदर्शन शकुंतला तरार उपाध्यक्ष ने किया।

तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन पहुना का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश से आए कवि शामिल हुए। सत्र का संचालन रामानंद त्रिपाठी और अजय साहू अमृतांशु ने किया।

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