मां के नाम पर पेड़ लगाने की अपील, मोदी की राजनैतिक नौटंकी
हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। प्रधानमंत्री के द्वारा आम जनता से अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाने की अपील को राजनीतिक पाखंड और ध्यान भटकाने वाला इवेंट करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि हसदेव अरण्य का जंगल, जिसे सेंट्रल इंडिया का फेफड़ा कहा जाता है, उसे केंद्र की मोदी सरकार ने केवल अपने दोस्त अडानी के मुनाफे के लिए, कोल खनन के लिए कटवाया है। पिछले 6 महीने में भाजपा की डबल इंजन की सरकार आने के बाद से हसदेव अरण्य क्षेत्र के 137 हेक्टेयर में फैले जंगल में लाखों की संख्या में पेड़ निर्दयता पूर्वक काट दिए गए। 841 हेक्टेयर में फैले परसा के जंगलों में भी कटाई शुरु हो गई है। नो-गो एरिया को संकुचित कर अडानी के मुनाफे के लिए कमर्शियल माइनिंग की अनुमति दी गई। दोस्त के मुनाफे के लिए लाखो पेड़ की बलि चढ़ाने वाले मोदी जी अपने पर्यावरण विरोधी पाप पर परदेदारी करने, जनता से मां के नाम पर एक पेड़ लगाने की अपील कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि अपने दोस्त के मुनाफे के लिए छत्तीसगढ़ में लाखों पेड़ निदयतापूर्वक कटवाने वाले मोदी जी, एक पेड़ लगाने की अपील कर रहे हैं, भाजपाई बताएं कि राजनैतिक पाखंड है या नौटंकी? कोल माइनिंग विशुद्व रूप से केंद्र सूची का विषय है आवेदन की प्रक्रिया से लेकर अंतिम तक केंद्र की सरकार करती है केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद पहली बार देश में कमर्शियल मीनिंग शुरू किया गया। सीआईएल और एसईसीएल के कोल ब्लाकों में खनन का कार्य दबाव पूर्वक अडानी को दिया गया। केंद्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला के क्षेत्र को अति महत्वपूर्ण जैव विविधता है संपन्न क्षेत्र मानते हुए खनन की गतिविधियों पर रोक लगाई थी, हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला को नो-गो एरिया घोषित किया था, जिसके तहत प्रतिबंधित क्षेत्र से 10 किलोमीटर की दूरी तक खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित क्या था लेकिन केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद उन लोगों एरिया को संकुचित करके माइनिंग की अनुमति दी, ताकि अडानी को फायदा हो।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों में संशोधन करके आदिवासियों के अधिकारों को सीमित किया है। जल जंगल जमीन पर स्थानीय आबादी को उनके अधिकार से वंचित किया है। कोल बैरिंग एक्ट में संशोधन करके, ग्राम सभा के अधिकारों को संकुचित किया है। पेसा कानून में ग्राम सभा को दिए गए अधिकार छीने गये। भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार केवल अपने चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए काम कर रही है। वन और पर्यावरण भी मोदी की मित्रता की भेट चढ़ा दिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यदि मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को पेड़ और पर्यावरण की चिंता है तो पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा से 26 जुलाई 2022 को परसा कोल ब्लाक सहित पांच कोल ब्लॉकों का आबंटन निरस्त करने का जो प्रस्ताव छत्तीसगढ़ विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित करके केन्द्र को भेजा गया है उस पर तत्काल निर्णय ले और अडानी के मुनाफे के लिए जो लाखों की संख्या में हसदेव अरण्य और तमोर पिंगला में पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है उस पर तत्काल रोक लगाए।