February 2, 2025

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हर वर्ग के हक और अधिकारों में डकैती वाला बजट, स्वास्थ्य में मात्र 1.94 प्रतिशत खर्च – सुरेंद्र वर्मा

हर वर्ग के हक और अधिकारों में डकैती वाला बजट, स्वास्थ्य में मात्र 1.94 प्रतिशत खर्च – सुरेंद्र वर्मा

खाद सब्सिडी, खाद्य सब्सिडी, मनरेगा के बजट में कटौती अव्यवहारिक है, अन्याय है।

हरियर एक्सप्रेस, रायपुर। केंद्रीय बजट 2025-26 पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार का यह बजट सामाजिक न्याय के विपरीत और आम जनता की उम्मीदों के खिलाफ है। प्रधानमंत्री आवास, जल जीवन मिशन, खाद सब्सिडी, खाद्य सब्सिडी और मनरेगा के बजट में भारी भरकम कटौती करके देश की जनता से धोखा किया है। लगभग सभी जन कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बजट आबंटन में भारी कटौती किया गया है। किसानों के साथ यह सरकार लगातार धोखा कर रही है उर्वरक सब्सिडी में पिछले बजट से 3412 करोड़ की कटौती की गई है 171299 करोड़ से घटाकर 167887 करोड़ रह गया है। खाद्य सब्सिडी 205250 करोड़ से घटकर 203420 करोड़ रह गया है अर्थात 1830 करोड़ की कटौती। पेट्रोलियम सब्सिडी 14700 करोड़ से घटाकर 12100 करोड़, सीधे 2600 करोड़ की कटौती। स्वास्थ्य का बजट कुल बजट का मात्र 1.94 प्रतिशत है। 2024-2025 के बजट अनुमान में कुल पूंजीगत व्यय 1111111 था, जिसे घटकर 1018429 कर दिया गया है। आईटी और दूरसंचार का बजट लगभग 20 प्रतिशत कम कर दिया गया है। 117869 से घटकर मात्र 95298 करोड़ अर्थात सीधे 22541 करोड़ की कटौती। कर प्रशासन में 21336 करोड़ की कटौती अव्यावहारिक है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार ने इस बजट में मध्यम वर्ग को एक बार फिर से ठगा है। आयकर के लिये तय बेसिक एक्जम्पशन लिमिट केवल नये टैक्स रिजिम ऑप्ट करने वाले के लिये ही 3 लाख से बढ़ाकर 4 लाख किया गया है। बेसिक एक्जम्पशन लिमिट और 87 के रिबेट में अंतर है। यदि रिबेट के स्थान पर बेसिक एक्जम्पशन लिमिट बढ़ाया गया होता तो इसका लाभ सभी आयकर दाताओ को मिलता। जीडीपी विकास दर अपेक्षा से काफी कम है। रोजगार बढ़ाने का कोई रोडमैप नहीं है। एमएसएमई के संदर्भ में सरकार के दावे झूठे है। असलियत यह है कि अधिकांश छोटे उद्योग 3 साल के भीतर ही बंद हो जा रहे है।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आज का बजट मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का का रिपोर्ट कार्ड है। मोदी सरकार ने देश को कर्ज में डूबाने का काम किया है। इस बजट में आय के प्रमुख स्रोत, कुल प्राप्तियों का 24 प्रतिशत नया कर्ज से अनुमानित है, अर्थात 2014 की तुलना में देश पर तीन गुना अधिक कर्ज़ में लादने के बावजूद यह सरकार इस साल 1566452 करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है। 1568936 का भारी भरकम राजकोषीय घाटा मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन को प्रमाणित करता है। कुल व्यय का 20 प्रतिशत राशि केवल ब्याज के भुगतान में व्यय हो रहा है। मोदी सरकार ने देश को कर्ज़ के गर्त में धकेल दिया है यह बजट आम जनता के अपेक्षा के विपरीत है, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ाने वाला है, असमानता बढ़ाने वाला है।

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